जी हाँ साहब, आपको बताते हुए मुझे हर्ष की अनुभूति हो रही है, की मै पूर्ण रूप से एक फ़ोकट व्यक्ति हु| वैसे तो देश मे आलसी और बेकार लोगों को फ़ोकट कहा जाता है, जो की गलत है| क्योंकि लाखों नाकाम कोशिशों के बाद मैं इस शब्द को पा सका हूँ, जो की मेरे लिए भारत रत्न से ज्यादा मायने रखता है| और देश के लिए उससे भी ज्यादा | इस उपलब्धि से मेरे पुरखों की आत्मा भी आज गौरव का एहसास कर रही है, की उनके वंश मे कोई तो फ़ोकट निकला |
हमें बचपन से पढ़ाया गया है की आवश्यकता अविष्कार की जननी है, परन्तु केवल जननी किसी को पैदा करने के लिए काफी नहीं होती उसके लिए एक जनक की आवश्यकता होती है | और यदि हम इसी विषय पर गहन अध्ययन करें, तो हम पाते हैं की, किसी भी अविष्कार का जनक आलस्य है और आलस्य रूपी ये जनक तभी आता है जब व्यक्ति पूर्ण रूप से फ़ोकट हो| यानी आज देश मे जो अविष्कार हो रहे है, जो तरक्की हो रही है उसका एक मात्र कारण है की, मैं पूर्ण रूप से फ़ोकट हूँ,| जो की देश के लिए गर्व और सम्मान की बात है |
साहित्य कई वर्षों से ये शब्द समाज को देना चाहता था, पर समाज इसे लेना नहीं चाहता था| पर मेने इसे अपना दायित्व मानकर दोनों के बीच सेतु का कार्य किया है और देश हित में इस शब्द को अपना लिया जो की वीरता और बहादुरी की अदभुत मिसाल है |
वैसे तो कई लोग आज फ़ोकट है| परन्तु विडम्बना यह है की, वो स्वयं को फ़ोकट मानने को तैयार नहीं ,परन्तु में ये सिद्ध कर सकता हूँ की, वो भी हम जैसे ही है| क्योंकि जिस तल्लीनता और लगन से आप ये लेख पढ़ रहे है, उससे साफ़ जाहिर होता है की, आप कितने बड़े निठल्ले और घटिया स्तर के पाठक है | अर्थात आप मुझसे बड़े फ़ोकट हे| पर किसी पर कीचड़ उछालना अपनी आदत नहीं, इसलिए मैं तो कहूँगा आप जैसे भी हे बहुत अच्छे है |
अब मैं मुख्य विषय पर आता हूँ और आपको बताता हूँ की मुझे फ़ोकट बनाने में ईश्वर , प्रकृति और समाज का बहुत बड़ा योगदान है | क्योंकि इश्वर ने मुझे एक दिमाग दिया हे जिससे मेने बहुत सोचा और फिर सोचा तब इस निष्कर्ष पर पहुंचा हूँ की मुझे काम नहीं करना चाहिए वरन देशहित मे विचार करना चाहिए, तो समाज ने मुझे फ़ोकट घोषित कर दिया| अब आप स्वयं सोचो ये गलती मेरी हे, या भगवान् की ? खैर ....... इसी सिलसिले में आगे कहूंगा की मेरा एक मित्र हे ,जब वह घर से बाहर रहता है तो उसकी चिंता उसकी बीवी करती है |तब उसे उसकी बीवी पर बड़ा प्यार आता है और जब यही चिंता मैं करता हूँ तो वो मुझे फ़ोकट बोलता है| क्या किसी की चिंता करना गलत है ? हाँलाकि में जानता हूँ कि , मैं उसे वो सुविधा नहीं दे सकता जो उसे उसकी बीवी देती है ,क्योंकि मै आदमी हूँ पर यदी मैं स्त्री होता तो उसे मना थोड़े ही करता यह तो प्रकृति का दोष है कि मुझे आदमी बनाया |इसी तरह से संसार की हर वस्तु मुझे फ़ोकट बनाने के लिए ज़िम्मेदार है | कुल मिलाकर मैं यह कहना चाहता हूँ ,कि मैं भले ही आलसी हूँ ,पर काम करने का जज्बा तो रखता हूँ , चाहे वो मैं ना करूँ | मैं देश के लिए मर मिटने का दावा कर सकता हूँ | ठाला बैठकर देश के लिए सोच सकता हूँ , फिर भी लोग मुझे फ़ोकट कहते हैं | अब मैं क्या मरुँ ? यह तो सरासर अन्याय है , अत्याचार है और इस अभागे देश के वर्तमान मैं ना जाने कितने लोग फ़ोकट शब्द को ढो रहे हैं , जिन्हें शासन कोई पारिश्रमिक नहीं देता बल्कि एक ऋण समझता है | कभी ना चुकने वाला ऋण |
हम फ़ोकट हैं , इसलिए हम ऋण हैं , चूँकि आप भी फ़ोकट हो यह तो मैं सिद्ध कर चुका हूँ , इसलिए आप भी ऋण ही हुए | तो क्यों ना हम ऋण - ऋण मिलकर धन बन जाएँ , ताकि देश के लिए कुछ कर सकें | तो आओ मिलकर हम राष्ट्रीय फ़ोकट संघ कि स्थापना करें और नित नए विचार एकत्रित करें , क्योंकि यह शाश्वत सत्य है कि समस्या से ही समाधान निकलता है और आज देश को समाधान की जरुरत है | तो सर्वप्रथम हम मिलकर देश के सम्मुख किसी समस्या को खडा करें | ताकि आने वाली पीढियां उसका समाधान खोजें , जिससे देश को एक नए दिशा मिलेगी , समाज का उद्धार होगा और हमारा नाम इतिहास के पन्नों मैं अमर हो जाएगा |
और अंत मैं यही कहूँगा कि , जब भी राष्ट्रीय फ़ोकट संघ का अधिवेशन हो तो आपसे बाउम्मीद गुजारिश है , कि अध्यक्ष पद के लिए आप मेरा ही नाम प्रशस्त करें |
इसी विनय के साथ आपका साथी सुनील पाटीदार |
mast sunil bhai bade bhari sabdo ka use kiya hai ... maja aa gaya ...are aap fokat kaha hai itni sundar lekhani ke sath vyast jo ho.....
जवाब देंहटाएंji thank you sir ji
जवाब देंहटाएंbilkul aapke ye lekh bahut hi achhe hai...
जवाब देंहटाएंIse padhkar hum fokato ke man me ek achhi khusi milti hai...